बाल कहानी - ज़िंदगी की चाह

"ज़िंदगी की चाह" कहानी में दो बीमार आदमियों को अस्पताल के एक कमरे में रखा गया। एक आदमी, जिसका बिस्तर खिड़की के पास था, उसे हर दोपहर एक घंटे बैठने की सलाह थी, जबकि दूसरा आदमी पूरा समय लेटा रहता था।

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ज़िंदगी की चाह

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"ज़िंदगी की चाह" कहानी में दो बीमार आदमियों को अस्पताल के एक कमरे में रखा गया। एक आदमी, जिसका बिस्तर खिड़की के पास था, उसे हर दोपहर एक घंटे बैठने की सलाह थी, जबकि दूसरा आदमी पूरा समय लेटा रहता था। खिड़की वाला आदमी बाहर के खूबसूरत दृश्य—जैसे झील, बत्तख, बच्चे, और परेड—का वर्णन करता, जिससे दूसरा आदमी अपनी कल्पना में इन्हें जीने लगता। एक दिन खिड़की वाले आदमी की मृत्यु हो गई। दूसरे आदमी ने उसकी जगह ली, लेकिन खिड़की के बाहर सिर्फ़ दीवार थी। नर्स ने बताया कि मृत आदमी नेत्रहीन था और उसने ये सब उसे प्रोत्साहित करने के लिए कहा था। (Zindagi Ki Chah Story Summary, Hindi Moral Story)

दो आदमी बहुत बीमार थे और उन्हें अस्पताल के एक ही कमरे में रखा गया था। एक आदमी को डाॅक्टरों ने कहा था कि वह दोपहर के समय अपने पलंग पर एक घंटे तक बैठे ताकि उसके फेफड़ों का पानी निकलने में मदद हो सके। उसका पलंग कमरे की खिड़की के साथ था। वहीं दूसरे आदमी को पूरा समय अपने पलंग पर सीधे लेटे रहने की हिदायत थी।

दोनों आदमी एक दूसरे से घंटों तक बाते करते रहते थे। वह अपनी पत्नियों और परिवार, अपने काम, अपने घर और अपनी छुट्टियों के बारे में बाते करते रहते थे। हर दोपहर को खिड़की के पास वाले पलंग पर बेठा आदमी खिड़की के बाहर दिखने वाली सभी चीज़ों के बारे में अपने दूसरे साथी को बताता था। दूसरे पलंग पर दूसरा आदमी उस एक घंटे के अंदर अपने विचारों को बढ़ाकर दूसरी दुनिया के बारे में सोचने लगा था और बाहर की दुनिया के रंगों को जीने लगा था। अब उसे खिड़की के बाहर बाग दिखने लगा था जिसमें एक खूबसूरत झील थी और बत्तख पानी में तैर रही थी वही बच्चे कागज़ की कश्तियों को बहा रहे थे।

जब खिड़की के पास बैठा आदमी यह सब दृश्यों के बारे में बता रहा था तो कमरे में दूसरे पलंग पर लेटे आदमी ने अपनी आंखें बंद की और इस दृश्य को देखने लगा। एक दोपहर खिड़की पर बैठे आदमी ने पास से गुजरती परेड के बारे में बताया। हालांकि दूसरे आदमी को बैंड की आवाज़ नहीं सुनाई दी लेकिन वह अपने दिमाग में उस दृश्य को महसूस कर पा रहा था। इसी तरह दिन गुजरे, हफ्ते बीते ओर महीने बीत गए।

एक सुबह नर्स कमरे में पानी लेकर आई ताकि वह उन्हें नहला सके लेकिन नर्स ने देखा कि खिड़की के पास वाले आदमी की मृत्यु हो चुकी थी और वह अपनी नींद में ही सो गया था। वह उदास हो गई और उसने अस्पताल के कर्मचारियों को बुलाया ताकि उसके पार्थिव शरीर को ले जाया जा सके। दूसरे आदमी ने नर्स से कहा कि क्या वह उसे खिड़की के पास वाले पलंग पर लिटा सकते है। नर्स ने खुशी खुशी उसकी जगह बदली और जब उसने देखा कि वह आदमी ठीक तरीके से लेट गया है तो वह उसे अकेला छोड़कर चली गई।धीरे धीरे, दर्द के साथ आदमी ने अपनी एक कोहनी को उठाया ताकि वह बाहर की दुनिया को देख सके। उसने पलंग के पास वाली खिड़की को देखने की कोशिश की। लेकिन वहां पर दीवार थी। आदमी ने नर्स को बुलाकर पूछा कि उसके साथ रहने वाले मृत आदमी ने उसे खिड़की के बाहर के दृश्यों के बारे में बताया था। नर्स ने उस आदमी को बताया कि वह आदमी नेत्रहीन था और वह तो दीवार को भी नहीं देख सकता था। नर्स ने कहा, ‘शायद वह आपको प्रोत्साहित करना चाहते थे।’

उपदेश- अपने हालातों को अलग करके दूसरों को खुशी देने में बहुत खुशी मिलती है। जब हम अपने दुखों को बांटते है तो हमारे दुख आधे हो जाते है लेकिन जब हम खुशी बांटते है तो दूसरों की खुशी दुगनी हो जाती है। अगर आप अमीर महसूस करना चाहते हो तो उन चीज़ों को गिने जिन्हें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। आज का समय तोहफा है इसलिए हम उसे ‘प्रेज़ेंट कहते है।’

सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों को खुशी देना सबसे बड़ी नेकी है। नेत्रहीन आदमी ने अपनी हालत भूलकर अपने साथी को खुश करने के लिए बाहर के खूबसूरत दृश्यों की कल्पना की, जिससे उसका साथी प्रेरित हुआ। यह सिखाता है कि अपने दुखों को भूलकर दूसरों के लिए कुछ अच्छा करना हमें सच्ची खुशी देता है। साथ ही, जब हम खुशियाँ बाँटते हैं, तो वे दोगुनी हो जाती हैं। हमें उन चीज़ों की कद्र करनी चाहिए, जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकतीं, जैसे प्यार, उम्मीद और समय। (Lesson on Sharing Happiness, Value of Non-Material Things)

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